शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उड़ान: Axiom Missio 4 के जरिए भारत में रचा नया अंतरिक्ष इतिहास

शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उड़ान: Axiom Missio 4 के जरिए भारत में रचा नया अंतरिक्ष इतिहास

नई दिल्ली 25 जून 2025 भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने आज देश को अंतरिक्ष की ऊंचाइयों तक पहुंचने में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर से Spacex के फाल्कन 9 राकेट द्वारा लांच हुए एक Axiom Mission 4 के माध्यम से वह अंतरास्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुए हैं।

यह मिशन भारत के लिए एक नया अध्याय साबित हो रहा है क्योंकि सुभाष शुक्ला राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय और पहले मिशन ऑपरेटर भारतीय साबित हो रहा है राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय और कमर्शियल ग्रुप है

शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उड़ान: एक्शन Missio 4 के जरिए भारत में रचा नया अंतरिक्ष इतिहास


मिशन की शुरुआत: इतिहास से जुड़ी एक उड़ान 

Axiom-4 मिशन की लांचिंग फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्चपेड 39A से हुई वही एतिहासिक स्थान जहां 1969 मैं नील आर्मस्ट्रांग ने चांद की यात्रा शुरू की थी। यह प्रतीकात्मक रूप से भी भारत के लिए एक गौरवशाली क्षण था। 

शुभांशु और उनके साथ तीन एन या अंतरिक्ष यात्री पोलैंड हंगरी और अमेरिका से 14 दिनों के वैज्ञानिक मिशन के लिए रवाना हुए हैं इस मिशन का उद्देश्य केवल यात्रा करना नहीं है बल्कि भारत के साथ माइक्रोग्रेविटी अनुसंधानों को अंजाम देना भी है।

अंतरिक्ष में भारत की वैज्ञानिक छाप

शुभांशु शुक्ला ISS पर 7 भारतीय वैज्ञानिक प्रयोग का नेतृत्व करेंगे इन प्रयोगों में मेटल क्रिस्टल ग्रोथ पोर्शन संबंधी रिसर्च और सेल्यूलर बायोलॉजी शामिल है। एक्सपेरिमेंट का मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि अंतरिक्ष गुरुत्वाकर्षण के अभाव में मानव शरीर कैसे बदलता है और इससे निपटने के लिए कौन सी मेडिकल या तकनीकी रणनीतियां अपनाई जा सकती है। 

28 घंटे की चुनौती पूर्ण यात्रा

यात्रा का सबसे रोचक हिस्सा यह है कि स्पेसक्राफ्ट को इस तक पहुंचने में लगभग 28 घंटे का समय लगेगा। इस दौरान स्पेसक्राफ्ट लगभग 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाएगा। 

शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उड़ान: एक्शन Missio 4 के जरिए भारत में रचा नया अंतरिक्ष इतिहास



शुभांशु ने अपने पहले संदेश में कहा:

41 साल बाद हम फिर से अंतरिक्ष में यह एक कमाल की राइड है इस वक्त में तिरंगे के साथ पृथ्वी की कक्षा में घूम रहा हूं। 

भारत में जश्न का माहौल

शुभांशु की इस यात्रा को लेकर भारत में गर्व और खुशी की लहर है। उनके माता-पिता जो लखनऊ में रहते हैं, बेहद भावुक हैं। 
उनकी मां आशा शुक्ला ने कहा:
यह सिर्फ मेरे बेटे का नहीं, पूरे भारत का सपना है।"
उनके पिता शंभू दयाल ने बताया कि शुभांशु बचपन से ही अनुचित और विज्ञान में रुचि रखने वाले छात्र रहे हैं। स्कूल के शिक्षक नागेश्वर शुक्ला ने भी इस उपलब्धि को "पूरे देश का गौरव" बताया। 

भारतीय वायु सेवा की प्रतिक्रिया

IAF ने ट्वीट कर लिखा:          

आसमान को जीतने से लेकर सितारों को छूने तक, वायुसेना के योद्धा शुभांशु की उड़ान बढ़ाने जा रही है।"

यह बयान दर्शाता है कि किस-किस प्रकार एक सैन्य अधिकारी अब देश के वैज्ञानिक गौरव की प्रतीक बन चुका है। 

AX-4 मिशन की वैश्विक भूमिका 

Axiom Mission 4 केवल भारत नहीं, बल्कि पोलैंड हंगरी ब्राज़ील नाइजीरिया फॉर UAE जैसे कई देशों की भागीदारी वाला मिशन है। इसमें कुल 60 वैज्ञानिक रिसर्च और प्रोजेक्ट को अंजाम देने की योजना है डिप्लोमेसी और वैश्विक साझेदारी की एक मजबूत मिसाल भी है। 

शुभांशु शुक्ला कौन हैं?

शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन हैं, जो Axiom Mission 4 के ज़रिए अंतरिक्ष में गए हैं। वह राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं।

Axiom Mission 4 क्या है?
यह एक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशन है, जिसमें कई देशों के अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक रिसर्च करना और अंतरिक्ष में नई खोजें करना है।
शुभांशु अंतरिक्ष में क्या करेंगे?

शुभांशु अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भारत के 7 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें शरीर पर गुरुत्वाकर्षण की कमी का असर और नई दवाओं की जांच शामिल है।


निष्कर्ष: तारे भी हमारे हैं 

शुभांशु शुक्ला कि यह उड़ान यह साबित करती है कि भारत अब केवल अंतरिक्ष की ओर देखा नहीं रहा, बल्कि उसे छू रहा।  

IAF ग्रुप कैप्टन, वैज्ञानिक, डाटा, और अब अंतरिक्ष यात्रा - शुभांशु शुक्ला का यह रूप आने वाली वीडियो के लिए प्रेरणा बनेगा। 

"तारे भी हासिल किया जा सकते हैं" - शुभांशु शुक्ला



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