जम्मू और कश्मीर में सरकारी नौकरी आरक्षण पर बड़ा फैसला आज क्या खुले मेरिट उम्मीदवारों को मिलेगी राहत

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में आज शाम कैबिनेट बैठक

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में आज शाम कैबिनेट बैठक हुई। जम्मू और कश्मीर सरकार की कैबिनेट मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में आज शाम एक महत्वपूर्ण बैठक करने जा रहे है इस बैठक में सरकारी नौकरियों में आरक्षण पर बनी कैबिनेट समिति (C S C) की रिपोर्ट पर चर्चा की जाएगी। रिपोर्ट 10 जून को अंतिम रूप में तैयार की गई थी। 

यह मुद्दा न सिर्फ संविधानिक तौर पर बल्कि कानूनी तौर पर भी काफी गंभीर है, खासकर उन उम्मीदवारों के लिए जो ओपन मेरिट के तहत सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करते हैं। 
जम्मू और कश्मीर में सरकारी नौकरी आरक्षण पर बड़ा फैसला आज क्या खुले मेरिट उम्मीदवारों को मिलेगी राहत


वर्तमान में 70% से अधिक आरक्षण सिर्फ 30% खुले मेरिट के लिए

सरकारी नौकरी के इच्छुक सामान्य वर्ग के छात्रों में नाराजगी। 

आज के समय में जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरियों में लगभग 70% सिम आरक्षित हैं जब कि केवल 30 परसेंट सिम सामान्य यानी खुले मेरिट उम्मीदवारों के लिए बचाई है इस असंतुलन की वजह से सामान्य वर्ग के छात्रों में भारी नाराजगी है। 
नेशनल कांफ्रेंस (N C) ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस आरक्षण नीति की समीक्षा करेंगे और इसे मेरिट फ्रेंडली बनाएंगे

C S C रिपोर्ट का इतिहास और गठन

कैबिनेट उप समिति CSC ने छह महीने में सौंपी रिपोर्ट

कैबिनेट उप-समिति को दिसंबर 2024 में यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वह 6 महीने के भीतर आरक्षण नीति पर अपनी सिफारिशें सरकार को दे। समिति में पांच में से तीन कैबिनेट मंत्री शामिल है, जिसमें मुख्यमंत्री शामिल नहीं हैं। 

जम्मू कश्मीर में आरक्षण की वर्तमान स्थिति

आरक्षण श्रेणियां का विस्तृत विवरण 

सरकारी नौकरियों में आरक्षण का मौजूदा वितरण किस प्रकार है। 

अनुसूचित जनजातीय (STs) - 20%

गुर्जर और बकरवाल - 10%

पहाड़ी जातियां - 10%

अनुसूचित जातियां (SCs) 8%

पिछड़े क्षेत्र निवासी (RBAs) - 10% (पहले 20% था)

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) - 10%

अन्य पिछड़ा वर्ग (OBCs) - 10%

ALC L/IB क्षेत्र निवासी - 4%

क्षैतिज आरक्षण (Horizontal Reservation) - 10%

भूतपूर्व सैनिक - 6%

विकलांग व्यक्ति (PwDS) - 4%


मेरिट से पास होने वाले आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार भी ओपन मेरीट सीट पर चयनित हो सकते हैं।  

ओबीसी को 8% आरक्षण मिला पर कानूनी पेज बाकी.  

2024 में संसद द्वारा पारित कानून के बाद OBC वर्ग को 8% आरक्षण प्राप्त हुआ इससे पहले उन्हें केवल 4% आरक्षण OBC (अन्य सामाजिक जातियां) कै तहत मिलता था। 

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत कोई भी संशोधन करने लिए यह जरूरी है कि वह संसद की मंजूरी से गुजरे क्योंकि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद UT में सभी केंद्र कानून लागू होते हैं।


क्या खुला मेरिट Open Merit वर्ग पा सकेगा राहत?

 सरकार के सामने यह सवाल सबसे अहम है कि क्या किसी आरक्षण को घटाया जा सकता है यह न सिर्फ राजनीतिक रूप से संवेदनशील विषय है बल्कि इसे कानूनी विवाद भी खड़े हो सकते हैं लेकिन अगर ऐसा नहीं किया गया तो सामान्य वर्ग के छात्रों को भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। 

आज की बैठक में क्या होगा?

रिपोर्ट के अमल के रणनीति बदलाव और आगे की योजना पर चर्चा संभव

आज की कैबिनेट बैठक में निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा होने की उम्मीद है:

CSC रिपोर्ट की समीक्षा और निष्कर्ष। 
आरक्षण नीति में बदलाव की संभावनाएं। 
कानूनी और संवैधानिक पेच। 
संसदीय मंजूरी की आवश्यकता। 
खुले मेरिट वर्ग के लिए अवसर बढ़ाने की रणनीति

जम्मू-कश्मीर में वर्तमान में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का वितरण कैसे है?

वर्तमान में लगभग 70% सीटें आरक्षित हैं और केवल 30% सीटें खुले मेरिट (Open Merit) वर्ग के लिए बची हैं। आरक्षण में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, पिछड़े क्षेत्र, भूतपूर्व सैनिक आदि श्रेणियां शामिल हैं।

CSC रिपोर्ट क्या है और इसे क्यों बनाया गया था?

कैबिनेट उप-समिति (CSC) को दिसंबर 2024 में आरक्षण नीति की समीक्षा करने के लिए गठित किया गया था। इसका उद्देश्य था 6 महीने में रिपोर्ट सौंपना और आरक्षण व्यवस्था को अधिक मेरिट-फ्रेंडली बनाना।

क्या मेरिट से पास होने वाले आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार ओपन मेरिट सीट पर चयनित हो सकते हैं?

हाँ, यदि कोई आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार मेरिट से पास होता है तो वह ओपन मेरिट सीट पर भी चयनित हो सकता है।

निष्कर्ष: हजारों उम्मीदवारों की नजरे कैबिनेट के फैसले पर

इस फैसले का असर जम्मू-कश्मीर के हजारों युवाओं पर पड़ेगा, जो सरकारी नौकरियों के लिए प्रयास रत हैं यदि रिपोर्टर के अनुसार आरक्षण में संतुलन लाया जाता है, तो यह एक बड़ी राहत होगी। वहीं अगर आरक्षण नीति जज की दास रहती है, तो विरोध तेज हो सकता है।







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