पाकिस्तान की वैश्विक धोखेबाजी रणनीति: अमेरिका के बाद एब चीन निशाने पर।

IAF अफसर अजय अहलावत का खुलासा।

वायु सेना ग्रुप के पूर्व कैप्टन अजय अहलावत ने पाकिस्तान को धोखेबाजी का मास्टर बताते हुए कहा की इस देश ने ऐतिहासिक रूप से वैश्विक शक्तियों का इस्तेमाल किया है। अब बारी चीन की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने दशकों तक अमेरिका को उल्लू बनाया और अब वही चालबाजी चीन के साथ करने वाला है। 

IFA



क्रिस्टीन फेयर का विश्लेषण। 

भारतीय अधिकारियों के सवाल: पाकिस्तान बार -बार कैसे देता है "अमेरिका को धोखा"? 

अमेरिका पॉलीटिकल साइंटिस्ट सी क्रिस्टीन फेयर ने लिखा कि उन्हें भारतीय दूतावास के कई अधिकारियों से बातचीत में एक ही सवाल सुनने को मिला- पाकिस्तान अमेरिका अधिकारियों को बार-बार धोखा कैसे देता है?


सॉफ्ट पावर और रणनीतिक हेर फेर की कला।

फेयर का कहना है कि पाकिस्तान अतिथि झूठी कहानियां और मिलिट्री टूरिज्म के जरिए सहानभूति बटोरता है अमेरिकी अधिकारी क्षेत्रीय जटिलताओं को नहीं समझ पाते और पाकिस्तान की चालबाजों का शिकार हो जाते हैं। 


पाकिस्तान की जिहादी रणनीति की शुरुआत। भुट्टो के समय से शुरू हुआ आतंक का खेल।

फेयर का दावा है कि पाकिस्तान की जिहादी नीति 1973 74 में ही शुरू हो गई थी। जब प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भूतों ने ISI के अफगानिस्तान सेल की स्थापना की थी। 

पाकिस्तान की वैश्विक धोखेबाजी रणनीति: अमेरिका के बाद एब चीन निशाने पर।


 मुजाहिदीन पार्टियों का निर्माण। 

1979 में सोवियत हमले से पहले ही पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में सक्रिय प्रमुख मुजाहिदीन ग्रुप को खड़ा कर दिया था यह रणनीति 1947 से पाकिस्तान के लिए स्थाई एजेंडा रही है। 


रणनीतिक विरोधाभास और समझोतो का उल्लंघन।

कम्युनिस्ट चीन से करीबी और पश्चिमी घटबधनो की अनदेखी। 

फेयर ने बताया की पाकिस्तान ने अमेरिका की निंदा की लेकिन इस समय चीन को खुश किया। एस SEATO जैसे समझौतो के बावजूद पाकिस्तान ने कोरियाइ और वियतनाम युद्धों में भाग नहीं लिया और चीन को कभी भी हमलावर नहीं कहा। 


आंतकवाद पर दोहरी नीति। 

दोहरा खेल एक तरफ अमेरिका का साथी दूसरी तरफ आतंकियों का मददगार।

पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका के साथ प्रमुख सहयोगी की भूमिका निभाई, लेकिन वही पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को पनहा और सहायता देता रहा। 

और भी देखें


2001 के बाद सीमा पार हमलों मैं भूमिका। 

2001 से अरबों डॉलर की अमेरिका और नाटो मदद लेने के बावजूद पाकिस्तान आतंकियों को सीमा पर हमले करने में सक्षम बनाता रहा।

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